गीतायाः प्रथमे अध्याये पञ्चमे श्लोके अस्ति उल्लेखः “पुरुजित् कुन्तिभोजश्च”-इति |
कुन्तिभोजः is a compound word to be deciphered as कुन्तेः भोजः
The word भोजः is detailed in Apte’s Practical Dictionary as (Pg 727 भुज्-अच्). However the meaning of भोजः as detailed does not fit the deciphering as कुन्तेः भोजः. The meaning of भोजः is detailed as follows.
भोजः [भुज् – अच्] =
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Name of a celebrated king of मालवा (or धारा), supposed to have flourished about the end of the tenth or the beginning of eleventh century and to have been a great patron of Sanskrit learning. He is also supposed to have been the author of several learned works such as सरस्वतीकंटाभरण &c.
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Name of a country
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Name of a king of विदर्भ-s. भोजेन दूतो रघवे विसृष्टः (रघुवंशे 5-39)
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भोजाः (m. pl.) = Name of a people.
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अच्
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is explained only as a प्रत्याहार in Dictionary of Sanskrit Grammar by काशिनाथशास्त्री अभ्यंकर not as a suffix प्रत्ययः.
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In Apte’s dictionary itself it is not detailed in the “Explanation of terminations used in the derivation of words”.
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Certainly however the word भोजः has a derivation from the धातुः भुज्
Actually there is another word भोगः (भुज्-घञ्). Meaning of this word seems to explain meaning of कुन्तिभोज more appropriately. Meaning of भोगः in Apte’s dictionary is –
भोगः [भुज्-धञ्] =
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Eating, consuming
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Enjoyment, fruition
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Possession
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Utility, advantage
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Rule, governing, government
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Use, application (as of a deposit)
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Suffering, enduring, experiencing
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Feeling, perception
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Enjoyment of women, sexual enjoyment, carnal pleasure
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An enjoyment, an object of enjoyment or pleasure भोगे रोगभयम् (भर्तृहरेः वैराग्यशतके 35)
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A repast, feast, banquet
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Food
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Food, offering to an idol
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Profit, gain
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Many more meanings …
घञ् = कृत्प्रत्ययः ‘अ’ causing substitution of वृद्धि for the preceding vowel applied in various senses as explained in various aphorisms (पा. 3-3-16 to 42, 3-3-45 to 55, 3-3-120 to 125) e.g. पादः, आयः, रोगः, भावः, अवग्राहः, प्रावारः, अवतारः, लेखः, रागः, etc.)
कुन्तिभोज was king of कुन्ति and the meanings of भोगः as –
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Possession
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Governing, Government
fit the meaning.
धातुः भुज् (pg 720/721)
(अ) आपटे-महाभागस्य शब्दकोशे
भुज्
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6 प. (भुजति, भुग्न)
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To bend
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To curve, make crooked
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7 उ. (भुनक्ति – भुङ्क्ते, भुक्त)
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To eat, devour, consume शयनस्थो न भुञ्जीत (मनुस्मृत्यां 4-74)
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To enjoy, use, possess (property, etc.)
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To enjoy carnally (Atm.) सदयं बुभुजे महाभुजः (रघुवंशे 8-7) सुरूपं वा कुरूपं वा पुमानित्येव भुञ्जते (मनुस्मृत्यां 9-14)
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To rule, protect, govern, guard राज्यं न्यासमिवाभुनक् (रघुवंशे 12-18)
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To suffer, endure, experience वृद्धो नरो दुःखशतानि भुङ्क्ते (सिद्धान्तकौमुद्याम्)
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To pass, live through (as time)
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causative – To cause to eat, feed with भोजयति-ते
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desiderative – To wish to eat, etc. बुभुक्षति-ते
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(आ) धातुपाठसूच्याम् –
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भुज् | तु० अनिट् प० | भुजो कौटिल्ये ६. १५३ ||
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भुज् | रु० अनिट् प० | भुज पालनाभ्यवहारयोः ७. १७
(इ) बृहद्धातुरूपावल्याम् –
(१) तत्र धातुकोशे –
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भुज पालनाभ्यवहारयोः [५५२] ७ । सक. । अनिट् । प. । भुनक्ति |
-
भुजो (भुज्) = कौटिल्ये ६ । अक. । अनिट् । प. । ओदित् | भुजति | ५ बुभोज । म. बुभोजिथ ।। ६ भोक्ता ।। ७ भोक्ष्यति ।। ८ भुज्यात् । भुज्यास्ताम् । ९ अभौक्षीत् । अभौक्ता ।। ओदितश्च । भुग्नः ।
(२) धातुरूपावल्याम् –
Only [५५२] भुज पालनाभ्यवहारयोः ७ is detailed –
(१) लटि – भुनक्ति | भुङ्क्तः | भुञ्जन्ति || (२) लोटि – भुनक्तु | (३) लङ्-लकारे – अभुनक् | (४) विधिलिङ्-लकारे – भुञ्ज्यात् | (५) लिट्-लकारे – (प्र.) बुभोज | बुभुजतुः | (म.) बुभोजिथे | (उ.) बुभुजिव | (६) लुट्-लकारे – भोक्ता | (७) लृट्-लकारे – भोक्ष्यति | (८) आशीर्लिङ्-लकारे – भुज्यात् | भुज्यास्ताम् | (९) लुङ्-लकारे – अभौक्षीत्६ | अभौक्तान् | अभौक्षुः || (१०) लृङ्-लकारे – अभोक्ष्यत् ||
पालनभिन्नेऽर्थे७ आत्मनेपदम् – (१) लटि – (प्र.) भुङ्क्ते८ | भुञ्जाते | भुञ्जते | (म.) भुङ्क्षे | (उ.) भुञ्जे | भुञ्ज्वहे | (२) लोटि – (प्र.) भुङ्क्ताम् | भुञ्जाताम् | (म.) भुङ्क्ष्व | भुञ्जाथाम् | भुङ्ध्वम् | (उ.) भुनजै || (३) लङ्-लकारे – अभुङ्क्त | (म.) अभुङ्क्थाः | (उ.) अभुञ्जि | (४) विधिलिङ्-लकारे – भुञ्जीत | भुञ्जीयाताम् | (५) लिट्-लकारे – बुभुजे१ | (६) लुट्-लकारे – भोक्तासे | (७) लृट्-लकारे – भोक्ष्यते | (८) आशीर्लिङ्-लकारे – भुक्षीष्ट | (९) लुङ्-लकारे – अभुक्त२ | अभुक्षाताम् | अभुक्षत | (१०) लृङ्-लकारे – अभोक्ष्यत ||
कर्मणि – भुज्यते | णिचि – भोजयति३ | सनि – बुभुक्षति / बुभुक्षते | यङि – बोभुज्यते | यङ्लुकि – बोभोक्ति / बोभोजीति |
कृत्सु – भोक्तव्यम् | भोजनीयम् | भोज्यम्४ / भोग्यम् | भुक्तः | भुञ्जन् | भुञ्जानः | भोक्तुम् | भोजनम् | भुक्त्वा | संभुज्य || भोगः | भुजः |
Footnotes – ६ षष्ठो लुङ् । ७ भुजोऽनवने । ८ अभ्यवहरति इत्यर्थः।
१ बुभुजे पृथिवीपालः पृथिवीमेव केवलाम् । इति रघुः । २ दशमो लुङ् । ३ निगरणार्थत्वात्परस्मैपदमेव । ४ भोज्यं भक्ष्ये । भोग्यमन्यत् ।
(ई) लकारेषु – Inflections in different moods and tenses From Morphological Generator at http://sanskrit.uohyd.ernet.in/scl/skt_gen/generators.html
लट्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुनक्ति |
भुङ्क्तः |
भुञ्जन्ति |
मध्यमपुरुषः |
भुनक्षि |
भुङ्क्थः |
भुङ्क्थ |
उत्तमपुरुषः |
भुनज्मि |
भुञ्ज्वः |
भुञ्ज्मः |
लिट्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
बुभोज |
बुभुजतुः |
बुभुजुः |
मध्यमपुरुषः |
बुभोजिथ |
बुभुजथुः |
बुभुज |
उत्तमपुरुषः |
बुभोज |
बुभुजिव |
बुभुजिम |
लुट्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भोक्ता |
भोक्तारौ |
भोक्तारः |
मध्यमपुरुषः |
भोक्तासि |
भोक्तास्थः |
भोक्तास्थ |
उत्तमपुरुषः |
भोक्तास्मि |
भोक्तास्वः |
भोक्तास्मः |
लृट्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भोक्ष्यति |
भोक्ष्यतः |
भोक्ष्यन्ति |
मध्यमपुरुषः |
भोक्ष्यसि |
भोक्ष्यथः |
भोक्ष्यथ |
उत्तमपुरुषः |
भोक्ष्यामि |
भोक्ष्यावः |
भोक्ष्यामः |
लोट्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुङ्क्तात्/भुनक्तु |
भुङ्क्ताम् |
भुञ्जन्तु |
मध्यमपुरुषः |
भुङ्क्तात्/भुङ्ग्धि |
भुङ्क्तम् |
भुङ्क्त |
उत्तमपुरुषः |
भुनजानि |
भुनजाव |
भुनजाम |
लङ्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अभुनक्/अभुनग् |
अभुङ्क्ताम् |
अभुञ्जन् |
मध्यमपुरुषः |
अभुनक्/अभुनग् |
अभुङ्क्तम् |
अभुङ्क्त |
उत्तमपुरुषः |
अभुनजम् |
अभुञ्ज्व |
अभुञ्ज्म |
विधिलिङ्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुञ्ज्यात् |
भुञ्ज्याताम् |
भुञ्ज्युः |
मध्यमपुरुषः |
भुञ्ज्याः |
भुञ्ज्यातम् |
भुञ्ज्यात् |
उत्तमपुरुषः |
भुञ्ज्याम् |
भुञ्ज्याव |
भुञ्ज्याम |
आशीर्लिङ्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुज्यात् |
भुज्यास्ताम् |
भुज्यासुः |
मध्यमपुरुषः |
भुज्याः |
भुज्यास्तम् |
भुज्यास्त |
उत्तमपुरुषः |
भुज्यासम् |
भुज्यास्व |
भुज्यास्म |
लुङ्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अभौक्षीत् |
अभौक्ताम् |
अभौक्षुः |
मध्यमपुरुषः |
अभौक्षीः |
अभौक्तम् |
अभौक्त |
उत्तमपुरुषः |
अभौक्षम् |
अभौक्ष्व |
अभौक्ष्म |
लृङ्-लकारे ७ प. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अभोक्ष्यत् |
अभोक्ष्यताम् |
अभोक्ष्यन् |
मध्यमपुरुषः |
अभोक्ष्यः |
अभोक्ष्यतम् |
अभोक्ष्यत |
उत्तमपुरुषः |
अभोक्ष्यम् |
अभोक्ष्याव |
अभोक्ष्याम |
लट्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुङ्क्ते |
भुञ्जाते |
भुञ्जते |
मध्यमपुरुषः |
भुङ्क्षे |
भुञ्जाथे |
भुङ्ग्ध्वे |
उत्तमपुरुषः |
भुञ्जे |
भुञ्ज्वहे |
भुञ्ज्महे |
लिट्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
बुभुजे |
बुभुजाते |
बुभुजिरे |
मध्यमपुरुषः |
बुभुजिषे |
बुभुजाथे |
बुभुजिध्वे |
उत्तमपुरुषः |
बुभोजे |
बुभुजिवहे |
बुभुजिमहे |
लुट्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भोक्ता |
भोक्तारौ |
भोक्तारः |
मध्यमपुरुषः |
भोक्तासे |
भोक्तासाथे |
भोक्ताध्वे |
उत्तमपुरुषः |
भोक्ताहे |
भोक्तास्वहे |
भोक्तास्महे |
लृट्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भोक्ष्यते |
भोक्ष्येते |
भोक्ष्यन्ते |
मध्यमपुरुषः |
भोक्ष्यसे |
भोक्ष्येथे |
भोक्ष्यध्वे |
उत्तमपुरुषः |
भोक्ष्ये |
भोक्ष्यावहे |
भोक्ष्यामहे |
लोट्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुङ्क्ताम् |
भुञ्जाताम् |
भुञ्जताम् |
मध्यमपुरुषः |
भुङ्क्ष्व |
भुञ्जाथाम् |
भुङ्ध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
भुनजै |
भुनजावहै |
भुनजामहै |
लङ्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अभुङ्क्त |
अभुञ्जाताम् |
अभुञ्जत |
मध्यमपुरुषः |
अभुङ्क्थाः |
अभुञ्जाथाम् |
अभुङ्ग्ध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
अभुञ्ज |
अभुञ्ज्वहि |
अभुञ्ज्महि |
विधिलिङ्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुञ्जीत |
भुञ्जीयाताम् |
भुञ्जीरन् |
मध्यमपुरुषः |
भुञ्जीथाः |
भुञ्जीयाथाम् |
भुञ्जीध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
भुञ्जीय |
भुञ्जीवहि |
भुञ्जीमहि |
आशीर्लिङ्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
भुक्षीष्ट |
भुक्षीयास्ताम् |
भुक्षीरन् |
मध्यमपुरुषः |
भुक्षीष्ठाः |
भुक्षीयास्थाम् |
भुक्षीध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
भुक्षीय |
भुक्षीवहि |
भुक्षीमहि |
लुङ्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अभुक्त |
अभुक्षाताम् |
अभुक्षत |
मध्यमपुरुषः |
अभुक्थाः |
अभुक्षाथाम् |
अभुग्ध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
अभुक्षि |
अभुक्ष्वहि |
अभुक्ष्महि |
लृङ्-लकारे ७ आ. |
एकवचनम् |
द्विवचनम् |
बहुवचनम् |
प्रथमपुरुषः |
अभोक्ष्यत |
अभोक्ष्येताम् |
अभोक्ष्यन्त |
मध्यमपुरुषः |
अभोक्ष्यथाः |
अभोक्ष्येथाम् |
अभोक्ष्यध्वम् |
उत्तमपुरुषः |
अभोक्ष्मे |
अभोक्ष्यावहि |
अभोक्ष्यामहि |
(उ) कृदन्ताः – No कृदन्त-s are detailed at http://sanskrit.uohyd.ernet.in/scl/skt_gen/generators.html
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